कबीर परमेश्वर के चमत्कार

मृत गऊ को जीवित करना
सिकंदर लोधी ने एक गऊ के तलवार से दो टुकड़े कर दिये। गऊ को गर्भ था और बच्चे के भी दो टुकड़े हो गए। तब सिकंदर लोधी राजा ने कहा कि कबीर, यदि तू खुदा है तो इस गऊ को जीवित कर दे अन्यथा तेरा सिर भी कलम कर (काट) दिया जाएगा। साहेब कबीर ने एक बार हाथ गऊ के दोनों टुकड़ों को लगाया तथा दूसरी बार उसके बच्चे के टुकड़ों को लगाया। उसी समय दोनों माँ-बेटा जीवित हो गए। साहेब कबीर ने गऊ से दूध निकाल कर बहुत बड़ी देग (बाल्टी) भर दी
तथा कहा - 
गऊ अपनी अम्मा है, इस पर छुरी न बाह। 
गरीबदास घी दूध को, सब ही आत्म खाय।।
चुटकी तारी थाप दे, गऊ जिवाई बेगि।
गरीबदास दूझन लगी, दूध भरी है देग।।

 मुर्दे को जीवित करना
ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3 में प्रमाण मिलता है कि पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
उसी विधान अनुसार कबीर परमेश्वर ने कमाल, कमाली नाम के मुर्दों को जीवित किया था। 

 भैंसे से वेद मन्त्र बुलवाना
एक समय तोताद्रि नामक स्थान पर सत्संग था। सत्संग के पश्चात भण्डारा शुरू हुआ। भंडारे में भोजन करने वाले व्यक्ति को वेद के चार मन्त्र बोलने पर प्रवेश मिल रहा था। कबीर साहेब की बारी आई तब थोड़ी सी दूरी पर घास चरते हुए भैंसे को हुर्रर हुर्रर करते हुए बुलाया। तब कबीर जी ने भैंसे की कमर पर थपकी लगाई और कहा कि भैंसे इन पंडितों को वेद के चार मन्त्र सुना दे। भैंसे ने छः मन्त्र सुना दिए। 

 शिशु कबीर परमेश्वर का नामांकन
जब कबीर साहेब का नाम रखने के लिए कुरान शरीफ पुस्तक को काज़ी ने खोला। प्रथम नाम ‘‘कबीरन्’’ लिखा था। काजियों ने सोचा इस छोटे जाति वाले का कबीर नाम रखना शोभा नहीं देगा। पुनः कुरान शरीफ खोली तो उसमें सर्व अक्षर कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए। कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले मैं कबीर अल्लाह अर्थात् अल्लाहु अकबर, हूँ। मेरा नाम ‘‘कबीर’’ ही रखो।
सकल कुरान कबीर है, हरफ लिखे जो लेख।
काशी के काजी कहै, गई दीन की टेक।। 

 जगन्नाथ के पांडे की कबीर जी द्वारा रक्षा
जगन्नाथ पुरी में एक रामसहाय पाण्डा खिचड़ी का प्रसाद उतार रहा था। गर्म खिचड़ी उसके पैर पर गिर गई। उस समय कबीर जी अपने करमण्डल से हिम जल रामसहाय पाण्डा के पैर पर डाला। उसके तुरंत बाद राहत मिलते ही पैर ठीक हो गया। उस समय कबीर जी ना होते रामसहाय पाण्डा का पैर जल जाता।
गरीबदास जी देते हैं -
पग ऊपरि जल डालकर, हो गये खड़े कबीर। गरीबदास पंडा जरया, तहां परया योह नीर।।
जगन्नाथ जगदीश का, जरत बुझाया पंड। गरीबदास हर हर करत, मिट्या कलप सब दंड।।


 सम्मन को पार करना
सम्मन बहुत गरीब था। जब कबीर परमात्मा का भक्त बना। तब परमात्मा के आशीर्वाद से दिल्ली का महान धनी व्यक्ति हो गया, परंतु मोक्ष की इच्छा नहीं बनी।
सम्मान ने अपने परमेश्वर रूप सतगुरु के लिए अपने बेटे की कुर्बानी की थी। जिस कारण अगले जन्म में नौशेरखान शहर के राजा के घर जन्मा। फिर ईराक देश में बलख नामक शहर का राजा अब्राहिम सुल्तान बना। परमात्मा ने उस आत्मा के लिए अनेकों लीलाएं की और उसका उद्धार किया। 

 तेरह गाड़ी कागजों को लिखना
 एक बार दिल्ली के बादशाह ने कहा कि कबीर जी
 ढ़ाई दिन में तेरह गाड़ी कागजों को लिख दे तो मैं
 उनको परमात्मा मान जाऊंगा। परमात्मा ने गाड़ियों में   रखे कागजों पर अपनी डण्डी घुमा दी। उसी समय सर्व   कागजों में अमृतवाणी सम्पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान लिख   दिया। राजा को विश्वास हुआ। 

    गोरखनाथ से गोष्ठी
एक बार कबीर परमेश्वर जी और गोरखनाथ जी की गोष्ठी हुई। गोरखनाथ जी गंगा नदी की ओर चल पड़ा। उसमें जा कर छलांग लगाते हुए कबीर जी से कहा कि मुझे ढूंढ दो मैं आपका शिष्य बन जाऊँगा। गोरखनाथ मछली बन कर गए। कबीर साहेब ने उसी मछली को   पानी से बाहर निकाल कर सबके सामने गोरखनाथ 
बना दिया। तब गोरखनाथ कबीर जी के शिष्य बने। 





Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Divine Play Of God Kabir

DeepKnowlegde Of God Kabir