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623वां कबीर प्रकट दिवस

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कबीर साहेब प्राकाट्य ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है, कि पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है उस समय कुंवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है। यह लीला केवल कबीर परमात्मा ही करते हैं।  ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में कबीर परमेश्वर जी काशी के लहरतारा तालाब पर कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए। इस लीला को ऋषि अष्टानन्द जी ने आंखों देखा। वहाँ से नीरू-नीमा परमेश्वर कबीर जी को अपने घर ले आये। गरीब, काशीपुरी कस्त किया, उतरे अधर उधार। मोमन कूं मुजरा हुआ, जंगल में दीदार।। स्वामी रामानंद जी ने अष्टानन्द जी से कहा, जब कोई अवतारी शक्ति पृथ्वी पर लीला करने आती है तो ऐसी घटना होती है।   शिशु रूप में प्रकट कबीर परमेश्वर जी ने 25 दिन तक कुछ नहीं खाया। लेकिन ऐसा स्वस्थ शरीर था जैसे प्रतिदिन 1 किलो दूध पीते हों। 25 दिन की आयु में कबीर साहेब जी ने लीला करके कहा मैं कुंवारी गाय का दूध पीता हूं। कबीर परमात्मा ने शिव जी से क...

कबीर साहेब का प्रकट दिवस

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कबीर साहेब का प्रकट दिवस होता है, जयंती नहीं! सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) ज्येष्ठ मास शुद्धि पूर्णमासी को ब्रह्ममूहूर्त में अपने सत्यलोक से सशरीर आकर परमेश्वर कबीर बालक रूप बनाकर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर विराजमान हुए। पूर्ण परमात्मा का माँ के गर्भ से जन्म नहीं होता।   पूर्ण परमात्मा कबीर जी का का जन्म कभी मां के गर्भ से नहीं होता।  इसलिए उनका प्रकट दिवस मनाया जाता है  कबीर जी अपने प्रकट होने के बारे में कहते है - न मेरा जन्म न गर्भ बसेर, बालक बन दिखलाया। काशी नगर जल कमल पर डेरा तहां जुलाहे ने पाया।। 

DeepKnowlegde Of God Kabir

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वास्तविक धर्म का ज्ञान कबीर परमेश्वर जी ने सभी धर्मों के लोगों को संदेश दिया कि सब मानव एक परमात्मा की संतान हैं। अज्ञानता वश हम अलग-अलग जाति धर्मों में बंट गये।  जीव हमारी जाति है,मानव धर्म हमारा। हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।। हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में सब भाई-भाई। आर्य जैनी और विश्‍नोई, एक प्रभु के बच्चे सोई।।

Divine Play Of God Kabir

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एक बार द्रौपदी ने अंधे महात्मा को अपनी साड़ी के कपड़े में से टुकड़ा दिया था क्योंकि अंधे महात्मा की कोपीन पानी में बह गई थी। साधु ने आशीर्वाद अनंत चीर पाने का आशीर्वाद दिया। कबीर परमात्मा ने चीरहरण में द्रौपदी का चीर बढ़ाकर लाज बचाई। गरीब, पीतांबर कूं पारि करि, द्रौपदी दिन्हीं लीर। अंधे कू कोपीन कसि, धनी कबीर बधाये चीर।।  नीरू को धन प्राप्ति कबीर परमेश्वर जब नीरू नीमा को बालक रूप में मिले तब उससे पूर्व दोनों जने (पति-पत्नी) मिलकर कपड़ा बुनते थे। 25 दिन बच्चे की चिन्ता में कपड़ा बुनने का कोई कार्य न कर सके। जिस कारण से कुछ कर्ज नीरू को हो गया। फिर कबीर जी ने कहा कि आप चिंतित न हों, आपको प्रतिदिन एक सोने की मोहर (दस ग्राम स्वर्ण) पालने के बिछौने के नीचे मिलेगी। आप अपना कर्ज उतार कर अपना तथा गऊ का खर्च निकाल कर शेष बचे धन को धर्म कर्म में लगाना। उस दिन के पश्चात् दस ग्राम स्वर्ण प्रतिदिन नीरू के घर परमेश्वर कबीर जी की कृपा से मिलने लगा। 

कबीर परमेश्वर के चमत्कार

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मृत गऊ को जीवित करना सिकंदर लोधी ने एक गऊ के तलवार से दो टुकड़े कर दिये। गऊ को गर्भ था और बच्चे के भी दो टुकड़े हो गए। तब सिकंदर लोधी राजा ने कहा कि कबीर, यदि तू खुदा है तो इस गऊ को जीवित कर दे अन्यथा तेरा सिर भी कलम कर (काट) दिया जाएगा। साहेब कबीर ने एक बार हाथ गऊ के दोनों टुकड़ों को लगाया तथा दूसरी बार उसके बच्चे के टुकड़ों को लगाया। उसी समय दोनों माँ-बेटा जीवित हो गए। साहेब कबीर ने गऊ से दूध निकाल कर बहुत बड़ी देग (बाल्टी) भर दी तथा कहा -  गऊ अपनी अम्मा है, इस पर छुरी न बाह।  गरीबदास घी दूध को, सब ही आत्म खाय।। चुटकी तारी थाप दे, गऊ जिवाई बेगि। गरीबदास दूझन लगी, दूध भरी है देग।।   मुर्दे को जीवित करना ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3 में प्रमाण मिलता है कि पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। उसी विधान अनुसार कबीर परमेश्वर ने कमाल, कमाली नाम के मुर्दों को जीवित किया था।    भैंसे से वेद मन्त्र बुलवाना एक समय तोताद्रि नामक स्थान पर सत्संग था। सत्संग के पश्चात भण्डा...